1

रिश्वत खाके

सरकारी फाइल

देती स्माइल। 

2

मेघों ने पाटे

पगडंडियाँ, रास्ते

खेतों के वास्ते। 

3

ऋण ज्यों बढ़ा

साहूकार की भेट

खेत भी चढ़ा।

4

बिटोड़ा ओढ़े

ज्येष्ठ में औढ़नी, ज्यो

शर्माती बहु। 

5

मेघों ने तोड़े

बजा ढ़ोल-नगाड़े

भू के सन्नाटे। 

6

खुद में चूर

अमावस्या को भूली

चाँदनी-नूर। 

7

धरा बेहाल

नभ को नही रहा

वर्षा का ख़्याल। 

8

नदी माँगती

वर्षा मूसला-धार

थोड़ा सा प्यार। 

9

आई है ओस

दूब की गोद सोने

धूप पिरोने।

10

खेतों की आह

बारिश ने पकड़ी

उनकी बाँह।

11

ढलती छाँव

वृद्धाश्रम में रोएँ

ढूँढे पनाह। 

12

सिन्धु के वास्ते

नदियों ने बदले

तमाम रास्ते। 

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