चोका-2
1
नापों अगर
लेके प्रेम-पैमाना
मिलेगा सदा
ईर्ष्या का क्षेत्रफल
मेरे मन में
तुम्हारे लिए बस
शून्य से थोड़ा नीचे।
2
कर रहा हूँ
प्रेम-अनुप्रयोग
बना रहा हूँ
प्रेम त्रिज्याएँ खींच
सुन्दर से दो
संकेंद्री-प्रेम-वृत्त
जिसके मध्य
परिधि-परिबद्ध
समस्त भाग
रखेगा सदा शून्य
ईर्ष्या का क्षेत्रफल।
3
छोड़ के गंगा
पंच प्रयाग, घूमें
देश-विदेश
हिमालय से लेके
बंगला-देश
पीछे छोड़ के गई
तटों की पीड़ा
अकेली ही दौड़ती
ना कोई वीजा
होकर के उदास
गंगा के घाट
भागीरथ की देखें
आठों पहर बाट।
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