प्रथम हे(ना)कु
प्रेम
नदियों सा
अविरल बहता रहे।
नेस्तनाबूद
हृदय पीड़ा
तुमने ज्यों छुआ।
इंद्रधनुष
पृथ्वी प्रेम
नभ से उतरा।
गुलमोहर
बिल्कुल लाल
दिवाकर जैसा चमके।
प्रेम
दशहरी आम
भरपूर सुखन दे।
कृष्ण,
राधा प्रेम
सदियों तक जीवित।
ज्वालामुखी
हृदय जलाती
वियोग में धरा।
बचपन
पत्थर तोड़ते
लोकतंत्र की जय।
फुटपाथ
कांसा थामे
भीख मांगे भविष्य।
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