फूलों पर हाइकु
1
सरसों करे
पीले कपड़े ओढ़
गेंदे की होड़।
2
गेंदा ओढ़ाएं
धरा को पीत वस्त्र
कभी सिंदूरी।
3
गेंदा सिखाते
जमीन से जुड़ के
खिलते रहे।
4
धरा पे खिलें
ज्यों गगन में तारे
गेंदा के फूल।
5
गेंदा का पेड़
ओढ़े खड़ा तारे, ज्यों
आकाशगंगा।
6
हवा ले गई
कोसों दूर ख़ुशबू
गेंदें से चुरा।
7
तितली देखें
गेंदा को निर्निमेष
प्रेम-विशेष।
8
सिर पे ताज
फूलों की टोकरियाँ
रखता गेंदा।
9
पलाश खिला
बसंत ओढ़े बैठा
ज्यों जर्द रंग।
10
गर्मी ज्यों बढ़ी
पलाश के गाल पे
लालिमा चढ़ी।
11
पलाश झेलें
शिव का अभिशाप
आग से पुष्प।
12
सुख या दुःख
ढाक के तीन पात
जीवन-सार।
13
पुष्प ज्यों खिले
ढाक के तीन पात
कुढ़ के गिरे।
14
वधु पहने
कानों में झुमकी, ज्यों
अमलतास।
15
प्रेम-प्रतीक
अजूबे जैसा दिखें
नीलकुरिंजी।
16
अपराजिता
लताओं पे बैठा, ज्यों
कोई तितली।
17
स्वर्ग का पुष्प
लू में भी खिल उठा
गुलमोहर।
18
गुलमोहर
शाखों पे बैठाएं, ज्यों
लाखों सूरज।
19
श्वेत बुरांस
पहाड़ों पे लेटें, ज्यों
असंख्य तारे।
20
लिली का पेड़
ओढ़े बैठा ज्यों कोई
शाही मुकुट।
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