कुछ चुनिंदा हाइकु-2
1
नेह ज्यों टूटा
मन से सब छूटा
गाँव-चौपाल।
2
गोधूलि बेला
दुःखी खेत से लौटे
हाली अकेला।
3
कुआँ ज्यों सूखा
बाट देखें बिजूखा
पानी निकले।
4
कर्ज का गट्ठ
साहूकार मारे ज्यों
सिर पे लट्ठ।
5
बैलों की जोड़ी
ट्रैक्टर की चाह में
हाली ने छोड़ी।
6
अशांत मन
बारूद की सुरंग
कभी भी फटे।
7
पेडों की दौड़
रेलगाड़ी ज्यों चली
स्टेशन छोड़।
8
गाँवों का किया
शहरों ने शिकार
ले हथियार।
9
गाँव-देहात
अकेला करें भी क्या?
किस से बात।
10
खेतों को ढका
सोने की परत ने
ज्यों गेहूँ पका।
11
छान ज्यों बाँधी
उड़ा ले गई आँधी
बिटोडे नंगे।
12
फसलें रूठी
मेघों ने सांत्वना दी
नई व झूठी।
13
गाँव भटके
हृदय में चहट
सूखी रहट।
14
भर के लूटा
इमारतों में दबे
जंगल, बूटा।
15
गाँव के मित्र
शहर में जाकर
भूले चरित्र।
16
नूतन गाँव
विलुप्त होती होली
ढोल की थाप।
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