कुछ चुनिंदा हाइकु-1
1
उषा-तमाचा
भोर में तम ढूँढे
ठोर-ठिकाना।
2
गाँव पहने
हरे-भरे गहने
पेड़ स्वरूप।
3
भू ने लपेटी
पेड़ पौधों की साड़ी
लू ने उघाड़ी।
4
उषा ने तोड़ा
व्यापक अंधकार
तम की हार।
5
विपदा झेले
पतझड़ में पत्ते
लड़े निहत्थे।
6
प्रेम में डूब
उसको लिखा पर्चा
गाँव में चर्चा।
7
धरा व्याकुल
देखें, मेघों की बाट
अकुलाहट।
8
मानव देह
विप्रलिप्सा का घर
ईर्ष्या से तर।
9
गाँवों की ढाणी
विकास को तरसे
ज्यों वधु काणी।
10
मेघ ज्यों रूठा
बंजर में भी फूटा
जिद्दी पल्लव।
11
नभ से तारे
नदियों में उतारे
चाँदनी रात।
12
बिजूका देख
भागे आवारा पशु
भय का भूत।
13
खग जुलाहे
पेड़ों पर बुनते
सुंदर नीड़।
14
प्रवासी खग
उड़ते पग-पग
प्रेम बिखेरे।
15
खग ढूँढते
इमारतों की भीड़
नभ से नीड़।
16
मेंड पे बैठे
नभ में मेघ लेटे
किसान देखें।
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