गुर्जर एवं शिक्षा
21वीं सदी जिसको वैज्ञानिक युग कहा जाता है इसमें अगर किसी जाति को मुख्य-विचारधारा से अलग रखना है तो सर्वप्रथम उसको शिक्षा और तकनीक से दूर रख दीजिये। इसके बाद भी यदि वह जाति संघर्ष करके मुख्य-विचारधारा में बनी रहती है तो फिर उसकी संस्कृति व राजनीति अस्तित्व को खत्म कर दिया जाये। वर्तमान मे यह बात चरितार्थ होती है देश की राजधानी व उसके आसपास रहने वाली उस जाति पर जिसने चाहे अफगान हो तुर्क हो मुगल हो या फिर अंग्रेज हो सभी के दांत खट्टे किये थे।
हम बात कर रहे है गुर्जर जाति की जिसकी आबादी दिल्ली व आसपास के क्षेत्र में सबसे ज्यादा है, परंतु राजधानी के नजदीक होने के बाद भी इनका शिक्षा का स्तर निम्न है। यहाँ पर गलती किसकी निकाली जाये शासन की या फिर अपने नेतृत्व की जिनमें दोनों को कही ना कही यह डर सता रहा है कि अगर यह जाति पढ़-लिख ली तो कही दिल्ली व उसके आसपास उनकी राजनीति फ़ीकी ना पड़ जाये।दूसरी तरफ गुर्जरों को भी इस पर गहन चिंतन करने की आवश्यकता है कि अगर वो इसी तरह शिक्षा से वंचित रहे तो क्या वो अपनी उस संस्कृति को बचा पायेंगे जिसको बचाने के लिए उनके पूर्वजों ने इतना बलिदान दिया था?
21वीं सदी मल्ल-युद्धों की नहीं है जहाँ पर युद्ध के मैदान में अपना जौहर दिखाना है बल्कि यह तो तकनीक, कृत्रिम-बुद्धिमत्ता व डाटा साइंस इत्यादि की है जिसमें जिसकी जितनी ज्यादा भागीदारी होगी वह उतना ही श्रेष्ठ माना जायेगा। अब हमको शारीरिक जौहर के साथ साथ बौद्धिक जौहर को भी दिखाने की आवश्यकता है जिससे कि हम सभी उस मुख्यधारा में आ सके जिसमें यह विश्व जा रहा है। आधुनिक युग की माँग शिक्षा है जिसकी सहायता से हम उस गलती को दोहराने से बच सकते हैं जिस गलती को अतीत में किया गया था।हम अपनी संस्कृति को भी तभी बचा सकते है जब हमारी कलम में उतनी ताकत हो कि वह किसी की भी कुर्सी को उखाड़ फेकने की क्षमता रखती हो। हम अपने अधिकारों की माँग तब रख सकते है जब शासन और प्रशासन में हमारा कुशल नेतृत्व हो।
अब गुर्जरों को जरूरत है कि उनके प्रत्येक घर में विजय सिंह पथिक जैसे विद्वान व विचारक, राजेश पायलट व किरोड़ी सिंह बैंसला जैसे कुशल नेता हो जिसकी वजह से गुर्जर उस मुख्य-धारा में आ जाये जिसमें यह 21वीं सदी जा रही है। अब समय है प्रत्येक गुर्जर को इस पर चिंतन करने का और यह प्रण लेना चाहिए कि वे अब से सिर्फ अपने घर में शिक्षा-रूपी दीपक प्रज्वलित करेगें।
सिर्फ जाति विशेष पर लिखने के कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी। अगर आपको उचित लगे तो इसका दायरा बढ़ाया जा सकता है जिसमे इसी तरह के और लोग भी अपने आप को इन सब बातों से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे।
जवाब देंहटाएंअगले लेख को सभी मजलूमों को ध्यान में रख कर लिखा जायेगा सर।
हटाएंबहुत ही उम्दा लेख लिखा हैं सर। 100% सही। जरूरत हैं पढ़े लिखो को आगे आने कि ना कि स्वार्थी बनाने कि।
जवाब देंहटाएंहज़ारो सिर कटे है आँखे दिखाने से
जवाब देंहटाएंपर दुनिया हमेशा झुकी है कलम चलाने से
एक दम बढ़िया सर जी
अगले लेख में विनम्रतापूर्वक उन कमियो पर भी प्रकाश डाले जो इस गुर्जर समाज में है!
यह समय सिर्फ प्रकाश डालने का ही नहीं है अपितु इन कमियों को मिलकर समाज से बाहर करने का हैं।
हटाएंवास्तव में वर्तमान परिदृश्य को कलम से जिस तरह उकेरा है बहुत ही उम्दा लेख हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छी शिक्षा और अच्छा स्वास्थ्य एक मजबूत समाज का निर्माण करते है!
जवाब देंहटाएंशिक्षा में बिना समाज अधूरा ः
जवाब देंहटाएंअच्छी शिक्षा एक अच्छे समाज का निर्माण करती हैं
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